दोहे
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हाथ बढ़ाकर लीजिये ,रिश्वत आप जनाब .
सुख संपत्ति नित बढे ,पूरे होंय सब ख्वाब .
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मंहगाई के दौर में , पिसें खूब गरीब ,
जनता आप स में बटें,नेता जमाखोर करीब .
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नेताओं के कुकृत्य से,जनता से जनता है हलकान
संसद के गलियारों में,खुली भ्रष्टाचार की दूकान.
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तन्खैये तो हो गए शासन के दामाद,
भ्रष्टाचार को सींच कर ,करें देश बर्बाद.
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राष्ट्रवादियों की सोच ये, देश का हो उत्थान .
भ्रष्टाचारियों का नाश हो, भारत बने महान.
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देशद्रोहियों के कुकर्म से, मत बनो अनजान.
भ्रष्टाचारियों की देश में, खूब करो पहचान .
भ्रष्टाचार को सींच कर ,करें देश बर्बाद.
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राष्ट्रवादियों की सोच ये, देश का हो उत्थान .
भ्रष्टाचारियों का नाश हो, भारत बने महान.
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देशद्रोहियों के कुकर्म से, मत बनो अनजान.
भ्रष्टाचारियों की देश में, खूब करो पहचान .
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