मंगलवार, 22 सितंबर 2015

देहरादून बुद्ध मंदिर



जीवन की आपाधापी में हम अपने संकार,गंगा,जमुनी संस्कृति भाईचारे एवं भारतीयता के मूल गुणों को लगता है भूलते जा रहे हैं.समझ में नहीं आता की आने वाले भारत को क्लैसे नागरिक मिलेंगे?हमारा निवेदन ही नहीं आग्रह भी है अपनी आने वाली पीढ़ी को अपने मूल सस्कारों से अवश्य परिचित कराएँ .पश्चिमी सभ्यता में हम अपने गुलाम मानसिकता से इतने ना डूब जाएँ की हम अपनी जड़ों को ही विस्मृत कर बैठें ?आने वाला भारत वैसा ही होगा जैसा बीज आजकल बोया जा रहा है.......सोचिये ज़रा ?

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