राजनीति चौपड़ बिछी ,मन मलीनों के बीच,
सत्ता के हुडदंग में, फेंके स्वारथ कीच,
फेंके स्वारथ कीच, कर जीवन सुखदाय,
सौ सौ जुटे खायके ,इज्जत लई बचाय,
कहे कवि 'अनुरागी,'दुनिया उसने जीती ,
हर काले धंधे के साथ, करता जो राजनीति .
सत्ता के हुडदंग में, फेंके स्वारथ कीच,
फेंके स्वारथ कीच, कर जीवन सुखदाय,
सौ सौ जुटे खायके ,इज्जत लई बचाय,
कहे कवि 'अनुरागी,'दुनिया उसने जीती ,
हर काले धंधे के साथ, करता जो राजनीति .
कवि सम्मलेन
के मंच पर,आओ खेलें होली,
छंद करे
स्वच्छंद, फाड़ कविता की चोली.
फाड़ कविता
की चोली, काटें शब्दों के पेड़,
कविता
बांचें हास्य की,मार श्रोता की रेड़.
मांगत कवि ‘अनुरागी’,दो
‘हास्यरत्न’ पुरस्कार,
एक अकेला
हास्य कवि, बाकी सब मक्कार.
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