मंगलवार, 16 अगस्त 2016

पाक प्रायोजित आतंकवाद बनेगा २०१९ में मोदी जी की भारी जीत का आधार

भारत की राष्ट्रिय,अंतर्राष्ट्रीय राजनीति अब नए युग में प्रवेश कर चुकी है. इस बदली राजनीति में जो राजनेता,राजनीतिक दल खुद को समय के साथ बदलने के लिए तैयार नहीं हैं उनकी बौखलाहट न केवल मोदी विरोध के रूप में सामने आ रही है बल्कि इस विरोध को वे राष्ट्र विरोध की सीमा तक ले जाने में संकोच करने से भी नहीं हिचक रहे हैं.
इस नयी राजनितिक परिवेश से जो सूचनाएं छनकर सामने आ रही हैं उसके अनुसार मोदी जी ने भी मान लिया है कि
2019 के चुनाव को प्रचलित  परंपरागत हथकंडों से जीतने की कोई गारंटी नहीं है। वे केंद्र में राष्ट्रवादी सरकार को कम से कम 2024 तक बिना अवरोध के जारी रखना चाहते हैं। 2014 की जीत से केवल सत्ता में राजनीतिक परिवर्तन ही हुआ है। अभी प्रशासन,न्यायपालिका, शिक्षा,मीडिया से भारतीय राष्ट्रवाद का स्तर न्यूनतम पर पहुँच चूका है. इसे हम इस तरह भी कह सकते हैं कि देश में स्वतंत्रता के बाद आज तक राष्ट्रवाद को कभी पनपने,उभरने ही नहीं दिया.
मोदी जी विकास की राजनीति कर रहे हैं लेकिन यह चुनाव जीतने की गारंटी नहीं देता है।  लोकसभा चुनाव में 'फीलगुड' देने वाली अटल सरकार की लोकसभा चुनाव में हार से भाजपा इस अनुभव को पहले ही महसूस कर चुकी है. सरकार  कितना भी विकास कर ले विरोधी इसे कभी आरक्षण,कभी जातिवाद,कभी दलित उत्पीड़न तो कभी असहिष्णुता के मुद्दे को लेकर मोदी सरकार की योजनाओं,उपलब्द्धियों को आम नागरिकों तक पहुँचने,पहुंचाने की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न कने में लगी हैं और कभी कभी वोटरों की हद से ज्यादा जागरूकता भी अच्छी सरकार के भविष्य के लिए हानिकारक सिद्ध हो रही है।
मोदी सरकार विरोधियों के साजिश को नाकाम करने की दिशा में काम कर रही है. मिडिया में साम्यवादी मानसिकता के लोगों का बहुमत होने से प्रिंट और इलेक्ट्रोनिक मिडिया मोदी सरकार के राष्ट्रवादी और हिन्दुत्ववादी चरित्र के कारण मोदी सरकार के हर जनहितकारी कार्यक्रम,योजनाओं की आलोचना करती रहती है. जो मोदी सरकार के अच्छे कामों को जनता तक नकारात्मक रूप में प्रस्तुत करती है. इसमें विपक्ष का साथ उनको मिला रहता है. देश के विकास में बाधा उत्पन्न करने वाली छद्म सेकुलेरिम से ग्रसित बुद्धिजीवियों के कुकृत्य से मोदी सरकार को ऊर्जा मिल रही है। देश की जनता समझ रही है कि कुछ लोग मोदी विरोध में देश की अस्मिता को ही खतरे में डाल रहे हैं. इससे मोदी जी 2019 का चुनाव पुरे बहुमत के साथ जीतेंगे। ठीक वैसे ही जैसे १९७१ में भारत पाक युद्ध के बाद इंदिरा गाँधी को जन समर्थन मिला था.
वर्तमान में जो चुनावी टोटके पक्ष विपक्ष के चल रहे हैं। वह राज्यों के चुनाव तक ही सीमित रहेंगे. २०१९ में लोकसभा चुनाव में जीत के लिए जो आधार अनायास पाकिस्तान मोदी सरकार को अनजाने में उपलब्ध करा रही है मोदी सरकार को उसका सदुपयोग कराने के लिए पाकिस्तान भी उतावला दिख रहा है. पाकिस्तान की कश्मीर घाटी में अलगाववादियों को खुला समर्थन देना दोनों देशों के बीच लगातार बढ़ते तनाव में चिंगारी ही डालने का काम कर रहा है. मोदी सरकार भी समझ रही है कि पाकिस्तान भारत के नरम रुख को भारत की कमजोरी मानने की भूल कर रहा है. वह ऐसे मानने वाला नहीं है दशकों तक बातचीत का भी आज तक कोई परिणाम नहीं निकला है. निकट भविष्य में भी कोई संभावना नहीं है. इसलिए भारत की विदेश नीति अपने रुख में परिवर्तन कर उसे पकिस्तान के प्रति आक्रामक रूप देने को मजबूर हो गयी है. इसकी शुरुवात मोदी जी ने इस स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर लालकिले की प्राचीर से कश्मीर घाटी में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का जिक्र करते पाक अधिकृत कश्मीर,गिलगिट,बलूचिस्तान का बड़ी कूटनीतिक भाषा में अपने ऐतिहासिक भाषण में उल्लेख कर ही दिया. जो पूरे प्रधानमंत्री के भाषण में मीडिया के लिए ब्रेकिंग न्यूज़ बन गयी.
पाकिस्तान के बडबोलेपन से पैदा होती जा रही विपरीत परिस्थितियां कश्मीर ही नहीं पुरे देश में शांति को भंग कर रही हैं. पहले जितनी बार भारत ने पाकिस्तान के साथ मित्रता करने का प्रयास किया पाकिस्तान ने हर बार धोखा देकर उस अवसर को गँवा दिया, आखिर कोई कब तक संयम का परिचय देता रहेगा. हाँ अगर देश में वही कांग्रेसनीत सेकुलर सरकार होती तो पाकिस्तान के साथ बार बार धोखा खाने के उसी नीति पर चलती जो पिछले ७० सालों से अभी तक चल रही है. चूँकि देश में अब राष्ट्रवादी सरकार है पाकिस्तान भी अपना स्वभाव सुधारने के बजाय भारत में आतंकवाद को और तेजी के साथ बढ़ावा देने में लग गया है. यही भारत के विदेश नीति में परिवर्तन का कारण बन रहा है. देश की विदेश नीति का यह नया रूप मोदी सरकार के लिए भी ब्रह्मास्त्र बनता जा रहा है जो आतंकवाद के स्थायी समाधान के दिशा तय करने में सहायक सिद्ध हो सकता है आतंकवाद के समूल नाश के लिए भारत जो भी कदम उठाएगा वह निश्चित ही आगे जाकर भारत पाक संघर्ष में बदल जाएगा. कश्मीर घाटी इसी आतंकवादी समस्या से जुड़ा है जम्मू कश्मीर राज्य की विवादित धारा 370  की समाप्ति जो कश्मीर को पूरी तरह भारत का अंग बना देगी.
ये भी सच है कि इस्लामी आतंकवाद पर करार प्रहार न केवल देश में शांति लायेगा बल्कि बहुप्रतीक्षित समान नागरिक संहिता,अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का मार्ग भी प्रशस्त कर देगी.
पाकिस्तान जिस तरह कश्मीर में अब खुलकर आतंकवाद फैला रहा है वह भारत पाक युद्ध से आरम्भ होकर पाकिस्तान से बलूचिस्तान/पख्तूनिस्तान और सिंध प्रांत का स्वतंत्र रूप से अस्तित्व में आने से ही समाप्त होगा। पाकिस्तान हालात को लगातार विकट बनाता जा रहा है। सेना का आधुनिकीकरण युद्ध स्तर पर किया जा रहा है। प्रधानमंत्री,गृहमंत्री, रक्षामंत्री और प्रधानमंत्री के सलाहकार अजित डोभाल जी ने  संकेतों से भविष्य के इस अनिवार्य होते जा रहे टकराव का आभास भी कई बार करा दिया है. अब तो गृहमंत्री राजनाथ सिंह भी पाकिस्तान के बारे में अपेक्षा से ज्यादा कठोर शब्द प्रयोग में ला रहे हैं. जो पहले नहीं सुने गए थे. अभी हाल ही में प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष के साथ कश्मीर मामले में पाकिस्तानी साजिश को लेकर बैठक की थी जिसमें विपक्ष ने भी मोदी जी के पाकिस्तान के साथ अपनाए गए कड़े रुख का समर्थन कर दिया और कश्मीर आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने वाली कार्यवाही को भी हल्की फुलकी शंकाओं के साथ सही बता दिया.
मोदी जी सुनियोजित तरीके से अपनी विदेश नीति को धार देकर पाकिस्तान को विश्व बिरादरी से अलग थलग कर दिया है फिलहाल सिर्फ चीन ही पाकिस्तान के साथ है चूँकि चीन की सीमा भारत से भी लगी है और पहले से ही भारत से दुश्मनी निकालता रहा है सो भारत को आतंकवाद के विरुद्ध अंतिम लड़ाई के लिए थोड़ा और समय की जरुरत है. ये निश्चित है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में चीन पाकिस्तान की प्रत्यक्ष अप्रत्यक्ष रूप से मदद ही करेगा। हो सकता है पाकिस्तान के साथ युद्ध शुरू होते ही चीन मौके का फायदा उठाते हुए तिब्बत,नागालैण्ड सीमा पर अपनी सेना को भारत के खिलाफ सक्रिय कर दे.
भारत का सैन्य आधुनिकीकरण दशकों से बोफोर्स घोटालों के कारण रुका हुआ है. जिससे हमारी सेना चीन के मुकाबले बहुत पीछे है। इसे देखते हुए मोदी सरकार  इस कमी को जल्द से जल्द दूर करने में लगे हैं.
पाक प्रायोजित आतंकवाद को समाप्त करने के लिए होने वाले संभावित युद्ध में जब पाकिस्तान पस्त हो जायेगा तो कश्मीर,भारत के अन्य हिस्सों में भी पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाने वाले भी पाक के इस हार के साथ ही स्वतः  ठंडे पड़ जायेंगे फिर उनकी हिम्मत नहीं होगी कि वे देश में राम मंदिर बनाने और कश्मीर से धारा 370 हटाने का विरोध कर सकें.
असल में यह कहानी तब से शुरू हो रही है जब जम्मू कश्मीर से भारत और अमेरिकी गुप्तचर सूचनाओं से पक्की खबर निकली है कि कश्मीर के मदरसे,मस्जिदें पाक प्रायोजित आतंकवादियों के हथियारों से भरे हुए हैं और पाक आतंकवादी कश्मीरी अलगाववादियों के साथ मिलकर गृहयुद्ध की पूरी तैयारी में हैं। इस सुचना की पुष्टि होते ही मोदी सरकार ने भी युद्ध की तैयारी शुरू कर दी है पहले वह  मदरसों,मस्जिदों की जांच व तलाशी अभियान शुरू करेगी। यह तय है कि पाक परस्त मुल्ले,सेकुलर जमात और मिडिया इसका विरोध करेगी. विरोध को दरकिनार कर जांच अभियान जारी रहेगा. जैसे जैसे हथियार जब्त होते जायेंगे या विरोध में पाकिस्तानी हथियारों का प्रयोग होगा तो सेना की कार्यवाही भी तेज होगी.  
बात साफ़ है कश्मीर में हथियार बंद अलगाववादियों के खिलाफ सैनिक कार्यवाही होते ही पाकिस्तान चुप नहीं बैठेगा. पाक सेना और हाफ़िज की इस्लामी आतंकी सेना दोनों खुलकर मैदान में आ सकते हैं। जो संघर्ष को खतरनाक मोड़ पर ले जाने में कोई कोर कसार नहीं छोड़ेगा. निश्चित है बड़े नुकसान के साथ पाकिस्तान की हार होगी। पाकिस्तान खंडित होगा। पाकिस्तान से निकलकर एक नहीं दो देश अस्तित्व में आ जायेंगे। भारत को उसका पाक अधिकृत कश्मीर भी मिल जाएगा.
भारत के पाकिस्तान परस्त लोगों के सामने तब ये समस्या ये खड़ी होगी कि वे पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाएं या पख्तूनिस्तान जिंदाबाद, के नारे लगाएं।

मंगलवार, 22 मार्च 2016

होली की कुंडलियाँ

 राजनीति चौपड़ बिछी ,मन मलीनों के बीच,
  सत्ता  के  हुडदंग   में,  फेंके  स्वारथ  कीच,
  फेंके  स्वारथ  कीच, कर  जीवन  सुखदाय,
  सौ  सौ  जुटे  खायके ,इज्जत  लई  बचाय,
  कहे  कवि 'अनुरागी,'दुनिया  उसने जीती ,
  हर काले धंधे  के  साथ, करता जो राजनीति .

                             
कवि सम्मलेन के मंच पर,आओ खेलें होली,
छंद करे स्वच्छंद, फाड़ कविता की चोली.
फाड़ कविता की चोली, काटें शब्दों के पेड़,
कविता बांचें हास्य की,मार श्रोता की रेड़.
मांगत कवि ‘अनुरागी’,दो ‘हास्यरत्न’ पुरस्कार,
एक अकेला हास्य कवि, बाकी सब मक्कार.