बुधवार, 12 सितंबर 2012

‘इंडियन’ या ‘इडियट’



ब्रिटेन से बाहर निकलकर अंग्रेज जहां जहां भी साम्राज्य के विस्तारीकरण के लिए गए. वहां उन्होंने खुद को न केवल सभ्य बताया बल्कि साथ ही स्थानीय लोगों को अपनी आदत के अनुसार हमेशा असभ्य,मूर्ख ही घोषित किया. यही नहीं उनके साथ अछूतों जैसा व्यवहार भी किया. स्थानीय निवासियों को ‘इडियट’ कहकर अपमानित करते हुए अंग्रेजों ने बाद में उन्हें अपने दस्तावेजों में इस शब्द में मामूली परिवर्तन कर वहां के आदिवासियों के लिए ‘इंडियन’ भी लिखना शुरू कर दिया. 
 अमेरिका के काले मूल आदिवासी नागरिक जिन्हें ‘हब्सी’ भी कहा जाता है. विश्व भर में अंग्रेजों द्वारा प्रचलित तथाकथित नवीन सभ्यता में उन्हें ‘सेमीनोले इंडियन’ के नाम जाना जाता है. उन्हें न केवल ह्येय दृष्टि से देखा गया अपितु उन पर अंग्रेजों द्वारा अत्याचार भी बहुत किये गए. सभ्यता के प्रतीक  कहे जाने वाले अमेरिका में मानवाधिकारों से भी उन्हें कई दशकों तक वंचित भी रखा गया. 
इसी तरह उत्तरी अमेरिका में भी तथाकथित असभ्य अन्य मूल आदिवासियों को ‘रेड इंडियन’, अफ्रीका में मूल आदिवासियों को ‘ब्लेक इंडियन’ कहा. जब अंग्रेजों ने भारत का रुख किया तो उन्हें यहाँ के लोग भी ‘इडियट’ ही नजर आये. ब्रिटिश शासन काल में अंग्रेजों ने यहाँ की जनता को अपनी ह्येय मानने की दृष्टि के मानसिकता के कारण देश के कई स्थानों पर “डॉग एंड इंडियन नॉट अलाउड” के बोर्ड लगा दिए थे. क्योंकि अंग्रेज मानते थे कि पश्चिमी सभ्यता के मुकाबले ये भारतीय अत्यधिक असभ्य,अशिक्षित और बुद्धिहीन हैं. इसीलिये अंग्रेजों ने भारतीयों के लिए भी अमेरिका,अफ्रिका के मूल आदिवासियों की तरह यहाँ के निवासियों को भी ‘इडियट’ या ‘इंडियन’ ही कहना शुरू कर दिया. ‘इंडियन’ शब्द का मूल ‘इडियट’ ही है. साफ़ जाहिर है  ‘इंडियन’ से ही ‘इंडिया’ की उत्पत्ति हुई ना कि ‘इंडिया’ में रहने वालों के कारण ‘इंडियन’ शब्द की. सवाल ये है कि अगर भारतीय ही इंडियन हैं तो फिर अमेरिका,अफ्रिका के मूल निवासियों को ‘सेमीनोले इंडियन’,‘रेड इंडियन’, ‘ब्लेक इंडियन’ क्यों कहा गया? सवाल ये भी है कि ये 'इंडियन' शब्द अंग्रेजों ने हर जगह किस उद्देश्य से प्रयोग किया ? 


बड़े दुःख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज भी हम अंग्रेजों द्वारा दी गयी सिर्फ सत्ता हस्तांतरण की राजनीतिक आजादी के बाद भी मानसिक,बौद्धिक रूप से पश्चिमी सभ्यता के अनुकरण में बुरी तरह जकड़े हुए हैं. हम आज भी अपमान का प्रतीक ‘इंडियन’ शब्द को तिलांजलि देने के बदले उसपर गर्व करते नहीं थक रहे हैं.