समझ
में नहीं आता कि हिंदी दिवस हिंदी भाषी राज्यों में मनाने की जरुरत क्यों पड़ गयी
है ? इसलिए कि हिंदी अब हिंदी भाषी क्षेत्रों में इतनी बेगानी हो गयी है उसे अपनी
याद दिलाने के लिए ऐसा दिन चुनना पड़ रहा है जैसे हम लोग साल भर में एक दिन अपना जन्मदिन मनाते हैं . क्या कहीं दुनिया में इंग्लिश डे,रूसी दिवस,चीनी दिवस भी मनाया जाता है? अगर एक दिन हिंदी के लिए है तो बाकि दिन किसके लिए? ये भी तो साफ़ होना चाहिए.
हिंदी
भाषी क्षेत्रों में जब ये हाल हिंदी का हो रहा है तो गैर हिंदी भाषी क्षेत्रों में
हिंदी की स्थिति का आप सहज ही अनुमान लगा सकते हैं. पिछले दिनों प्रधानमंत्री मोदी
ने पीएम कार्यालय से पत्र व्यवहार हिंदी भाषा में ही करने के लिए सभी राज्यों को
पत्र लिखा था. आजादी के ६५ साल बाद हिंदी राष्ट्रभाषा होने के बावजूद भी गैर हिंदी
राज्यों ने पीएम कार्यालय के इस पत्र पर हंगामा खडा कर दिया था. सभी सेकुलर
मानसिकता वाली जमात औए सेकुलर मिडिया इसके विरोध में खड़ी हो गयी. आप समझ सकते हैं
कि हिन्दुस्तान में हिंदी की स्थिति अभी सम्मानजनक नहीं है. हिंदी दिवस मनाना केवल
एक औपचारिक कार्यक्रम बन कर रह गया है. हिंदी को हम आप ही मिलकर आगे बढ़ा सकते हैं
अपने जीवन में हिंदी को पूर्णतया आत्मसात करके.
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