भारत का हर प्राणी, सहमा सहमा सा देख रहा ,
हम सब भारतवासी हैं, फिर कैसा ये भेद रहा .
कारखाने खुले नगर नगर में, फिर क्यों बेरोजगारी आयी,
नेता अफसर करें मौज,पर जनता ने महंगाई पायी .
मनोबल ऊँचा था उनमें,कह्ते जिन्हें स्वतन्त्रता सेनानी ,
कैसे देश आजाद हुआ,इसकी कीमत किसने जानी.
कोसें हम उस क्षण को,जब खंडित यह देश हुआ ,
शत्रु बना पाकिस्तान ,सीमाओं पर क्लेश हुआ.
अपने ही भाई अपनों का रक्त बहाते नित्य हैं
बहनें बनती विधवाएं ,कैसा निर्मम कृत्य है.
विकट हुई देश की हालत,समस्याओं का अम्बार लगा,
इधर गिरती फूस की झोपड़ी,उधर महलों का बाजार लगा .
अब अपने ही श्रम का ,मोल नहीं हम पाते हैं,
हमें लूटते चंद लुटेरे ,बोल नहीं हम पाते हैं .
छिनी खुशियाँ,चली बंदूकें,चौराहा लहुलुहान हुआ ,
सत्ता के भ्रष्ट दलालों से,आजाद देश वीरान हुआ.
हम सब भारतवासी हैं, फिर कैसा ये भेद रहा .
कारखाने खुले नगर नगर में, फिर क्यों बेरोजगारी आयी,
नेता अफसर करें मौज,पर जनता ने महंगाई पायी .
मनोबल ऊँचा था उनमें,कह्ते जिन्हें स्वतन्त्रता सेनानी ,
कैसे देश आजाद हुआ,इसकी कीमत किसने जानी.
कोसें हम उस क्षण को,जब खंडित यह देश हुआ ,
शत्रु बना पाकिस्तान ,सीमाओं पर क्लेश हुआ.
अपने ही भाई अपनों का रक्त बहाते नित्य हैं
बहनें बनती विधवाएं ,कैसा निर्मम कृत्य है.
विकट हुई देश की हालत,समस्याओं का अम्बार लगा,
इधर गिरती फूस की झोपड़ी,उधर महलों का बाजार लगा .
अब अपने ही श्रम का ,मोल नहीं हम पाते हैं,
हमें लूटते चंद लुटेरे ,बोल नहीं हम पाते हैं .
छिनी खुशियाँ,चली बंदूकें,चौराहा लहुलुहान हुआ ,
सत्ता के भ्रष्ट दलालों से,आजाद देश वीरान हुआ.
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