मुखौटे लगाकर लोग चलने लगे,तो मैं क्या करूँ ,
ख्यालात भी उनके बदलने लगे, तो मैं क्या करूँ.
इश्क की दुनिया रंज-ओ गम की तो न थी मगर,
अरमां दिलों के टूटने लगे, तो मैं क्या करूँ .
दौलत ने हर चीज खरीद डाली है दुनिया की ,
इंसानियत भी अब बिकने लगे, तो में क्या करूँ.
पैमाना दर्देगम का खाली हुआ मगर आजुर्दगी न गयी ,
छोड़कर मैखाने को वे जाने लगे,तो मैं क्या करूँ .
इरादतन तो 'अनुरागी ' ने उनको बुलाया ही न था ,
खुद पहलु में वे आने लगे तो मैं क्या करूँ .
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