रविवार, 23 अक्तूबर 2011

हम तो लुट गए यार, यारी में .

                       ग़जल

       हम तो लुट गए यार, यारी में .
       मिला बेइंतहाँ   प्यार ,यारी में .

       खुश  हूँ  की  अपने  ही   जीते,
       मान ली  हमने  हार,  यारी  में .

       तू जाने का नाम न ले ए दोस्त ,
       रोयेंगे  आंसू  हजार, यारी   में.

       न होंगे खफा  अब  जमाने तक,
       कर ले मुझसे   करार ,यारी में .

       इस तन्हाई  की दवा सिर्फ तू है ,
       लेकर  आजा  बहार,  यारी   में .

      

2 टिप्‍पणियां:

  1. तू जाने का नाम न ले ए दोस्त ,
    रोयेंगे आंसू हजार, यारी में.
    खूबसूरत अलफ़ाज़

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  2. दृष्टिगत के लिए धन्यवाद योगी जी

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